संतान प्राप्ति के अचूक उपाय

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संतान प्राप्ति के उपाय या पुत्री-पुत्र प्राप्ति के अचूक उपाय जानने के लिए अगर आप भी बेकरार हैं तो पढ़ें हमारा ये लेख। संतान सुख हर दंपति के लिए दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है। जिन्हें ये सुख यानि पुत्री या पुत्र रत्न की प्राप्ति आसानी से हो जाती है वो दुनिया के सबसे खुशनसीब लोगों में से होते हैं, लेकिन जिनको इस सुख की प्राप्ति किसी कारण वश नहीं हो पाती है वो दिल में इस कमी का दुख लिए रहते हैं और बस पुत्री-पुत्र प्राप्ति के लिए कई तरीकों व उपायों को अपनाते हैं। हम आपको यहां बताने जा रहे हैं संतान प्राप्ति के अचूक उपाय जिन्हें अपनाकर आपकी सूनी झोली भर जाएगी और आपको संतान सुख प्राप्ति होगा।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण
कुडंली में पंचम भाव संतान व उससे संबंधित कारक तत्वों को दर्शाता है। पंचम भाव व पंचमेश यानि पंचम भाव के स्वामी आपके जीवन में संतान से संबंधित कर्मों को दर्शाते हैं। इसके साथ ही गुरु यानि बृहस्पति को संतान प्राप्ति का मुख्य कारक माना जाता है। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए लग्न कुंडली में नवम भाव व नवम भाव के स्वामी की स्थिति का भी विश्लेषण किया जाता है। नवमांश कुंडली के पंचमेश व पंचम भाव, लग्न का स्वामी व सप्तांश कुंडली के पंचमेश, संतान संबंधी जानकारी को इंगित करते हैं। यदि पंचमेश, पंचम भाव व गुरु क्रूर ग्रहों के दोष से प्रभावित हो जाएं तो संतान सुख में विलंब हो सकता है। जैसे शनि के दुष्ट प्रभाव से संतान प्राप्ति में देरी या इसका अभाव भी हो सकता है। मंगल व केतु के दुष्प्रभाव से शारीरिक कष्ट हो सकता है। तो वहीं राहु व केतु संतान से संबंधित नकारात्मक कर्मों का संकेत देते हैं। राहु सर्प दोष व प्रजनन क्षमता से संबंधित हानि को इंगित करता है। राहु गुरु या नवमेश को प्रभावित करके पितृ दोष उत्पन्न करता है जिसके चलते भी संतान सुख प्राप्त करने में कष्ट हो सकता है। वैसे संतान की प्राप्ति में षष्ठेश, अष्टमेश व द्वादेश भी बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसे में यदि गुरु यानि बृहस्पति नीच का हो या बलहीन हो तो संतान का सुख मिलना लगभग असंभव हो जाता है। क्योंकि पंचम भाव संचित कर्मों को भी दर्शाता है, ऐसे में इस भाव को देख कर भी संतान से संबंधित खुशहाल या कष्टकारी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
संतान प्राप्ति के ज्योतिषीय उपाय
नीचे दिए गए उपायों को अपनाकर आप संतान प्राप्ति में आ रहे ज्योतिषीय दोषों को दूर कर सकते हैंः

पंचमेश के प्रभाव को बढ़ाएं यदि लग्न कुंडली में पंचमेश पीड़ित हैं तो उनकी आराधना करें, ऐसा करने से इसका दुष्प्रभाव कम होगा और सकारात्मक प्रभाव बढ़ेगा।
गुरु को करें प्रसन्न बृहस्पति की आराधना करना संतान प्राप्ति का सरल उपाय है। क्योंकि गुरु के बलहीन होने से भी कई बार संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। ऐसे में संतान प्राप्ति का मुख्य कारक गुरु यानि बृहस्पति ग्रह के प्रभाव को मज़बूत करने व बढ़ाने के लिए उसका पूजन करें। वैसे गुरुवार के दिन गुड़ दान करने से भी संतान सुख प्राप्त होता है। इसके साथ ही गुरुवार के दिन गरीबों में गुड़ बाँटें। गुरु ग्रह को शक्तिशाली बनाने के लिए इन दो मंत्रों का जाप करें
देवानां च ऋषिणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः। ह्रीं गुरवे नमः। बृं बृहस्पतये नमः।
नवग्रह पूजा नवग्रहों की शांति के लिए आप घर या मंदिर में हवन व अभिषेक कर सकते हैं। ऐसा करने से सभी ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव दूर होंगे और जीवन में सकारात्मकता बढ़ेगी जिससे शुभ फल प्राप्त होगा। यह पूजन संतान उत्पत्ति में आ रही बाधाओं को भी दूर करेगा। पुत्री-पुत्र प्राप्ति के उपाय में नवग्रह पूजा का विशेष महत्व है।
राहु/केतु की आराधना कुंडली में राहु व केतु की स्थिति व उनका अन्य ग्रहों के साथ रिश्ता भी संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करता है। राहु व केतु उन कर्मों से संबंधित चीज़ों को दर्शाते हैं, जो हमारे जीवन में कई परेशानियों के लिए जिम्मेदार हैं। जीवन में होने वाली अप्रत्याशित घटनाएं, शुभ व लाभदायक कार्यों में विलंब, दुर्भाग्य व दुखद परिस्थितियां राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव का ही नतीजा होती हैं। वैसे राहु-केतु पुनर्जन्म के बुरे कर्मों का फल भी देते हैं। इनके दोषों के उपाय के लिए जाप करें व परोपकारी कार्य जैसे दान आदि करें।
राहु को शांत करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें-

ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः

अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्। सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
केतु को शांत करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करें-

ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः

पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।

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