भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को प्रथम देव गणपति के जन्मोत्सव के लिए घर-घर में तैयारी पूरी हो चुकी है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे, लेकिन घरों में गणपति की मूर्ति, पूजा की चौकी, मोदक, लड्डू, दूर्वा, रंगोली और बंधनवार तैयार कर लिए गए हैं। उप्र संस्कृत संस्थान के संस्कृत साहित्याचार्य महेंद्र कुमार पाठक ने बताया कि शुक्रवार रात 1:59 बजे से चतुर्थी लग गई, लेकिन इसका मान शनिवार सुबह सूर्योदय 6:30 बजे से लिया जाएगा। पूजन के लिए कलश स्थापना का स्थिर योग सुबह 9:32 से 10:40 बजे तक रहेगा।
गणेश पूजा मुहूर्त
चतुर्थी तिथि: शनिवार 22 अगस्त 2020 को शाम 7.57 बजे तक
मध्याह्न पूजा मुहूर्त: सुबह 11.25 बजे से दोपहर 1.57 बजे तक
लाभ चौघड़िया: दोपहर 2.17 बजे से दोपहर 3.52 बजे
अमृत चौघड़िया: दोपहर 3.53 बजे से शाम 5.17 बजे तक
पूजन सामग्री
गणेशजी की पूजा के लिए गणेश प्रतिमा/मूर्ति, जल कलश, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, अक्षत, जनेऊ, इलायची, पान, सुपारी, लौंग, पंचमेवा, घी, कपूर, पूजा के लिए चौकी, गंगाजल, शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, चीनी, मधुपर्क, सुगंध चंदन, रोली, सिंदूर, गुलाल, हल्दी, कुंकुम, फूल माला, बेलपत्र, दूर्वा, शमीपत्र, गुलाल, आभूषण, धूपबत्ती, दीपक, मोदक, प्रसाद, फल, रूई, कपूर, आम की टहनी इत्यादि।
मूर्ति स्थापना विधि
– स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।
– सबसे पहले चौकी पर जल छिड़ककर शुद्ध करें।
– लाल वस्त्र पर अक्षत छिड़के और फिर भगवान गणेश की प्रतिमा अथवा मूर्ति स्थापित करें।
– भगवान गणेश को स्नान कराएं।
– मूर्ति अथवा प्रतिमा के दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि के रूप में एक-एक सुपारी रखें।
– गणपति की दाई और जल का कलश रखें।
पूजन विधि
– हाथ में अक्षत लेकर प्रसन्न मन से भगवान गणेश का स्मरण करें और उनका आवाहन करें कि वह घर में बिराजें और विधि-विधान से किए गए पूजन को स्वीकार करें।
– गणेशजी की मूर्ति को सिंदूर, केसर, हल्दी, चंदन, मौली आदि चढ़ाकर मंत्रोच्चार पूजन करें।
– जनेऊ, लाल पुष्प, दूब, मोदक, नारियल सहित आदि अन्य सामग्री बारी-बारी से चढ़ाएं।
– अंतिम में गणेशजी को 21 भोग लड्डूओं का भोग लगाएं और उनकी आरती उतारें।
– आरती के बाद गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकी के लड्डू ब्राह्मणों और गरीबों में बांट दें।