क्यों देखा जाता है करवा चौथ पर छलनी से चांद?

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करवाचौथ का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस साल 19 अक्तूबर को करवाचौथ का व्रत है। पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा के साथ-साथ भगवान शिव, पार्वती जी, श्री गणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाएं चांद के दर्शन करके ही अपना व्रत खोलती है। करवाचौथ पर चांद हमेशा छलनी से ही देखा जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की वजह?

क्यों देखते हैं छलनी से चांद
करवाचौथ की कथा के मुताबिक एक बार किसी बहन को उसके भाइयों ने स्त्रेहवश भोजन करवाने के लिए छल से चांद की बजाय छलनी की ओट में दीपक दिखाकर भोजन करवा दिया था, जिससे उसका व्रत भंग हो गया। इसके बाद उसने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया। दोबारा करवाचौथ आने पर उसने विधिपूर्वक व्रत किया और उसे सौभाग्य की प्राप्ति हुई। इसके पीछे एक और रहस्य है कि कोई छल से उनका व्रत भंग न कर दें इसलिए छलनी के जरिए बहुत बारीकी से चंद्रमा के देखकर व्रत खोला जाता है।

सरगी का महत्व
करवाचौथ का व्रत सरगी के बिना अधूरा हैं। इसमें फल, सूखे मेवे और मिठाई होती है। महिलाएं सूर्योदय होने से पहले जो भोजन कहती हैं उसे सरगी कहते हैं । सरगी खाने के बाद महिलाएं पूरा दिन न कुछ खाती हैं न कुछ पीती हैं । सुहागन औरतों को सरगी उनकी सास देती है।

मेहंदी का महत्व
करवाचौथ के दिन सुहागिनें अपने हाथों पर पति के नाम की मेहंदी लगाती है। मेहंदी के बिना श्रृंगार अधूरा होता हैं। कहते हैं मेहंदी के रंग से ही पता चलता है कि आपका पति आपसे कितना प्यार करता है।

इन बातों का रखें ख्याल
सरगी खाते समय हेल्दी खाना खाएं और पानी ज्यादा पीएं। व्रत खोलने के बाद अधिक भोजन का सेवन न करें। व्रत में कोई एक्सरसाइज न करें, इससे शरीर में कमजोरी आ सकती है ।

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