पुखराज रत्न

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नवग्रहों में बृहस्पति ग्रह को सबसे बड़ा पद मिला है जो की देवताओ के गुरु है नवग्रह मंत्रीमंडल में जो भी शुभाशुभ हो समय समय पर इंद्रदेव को अवगत कराए जाते है बृहस्पति का रत्न पुखराज है बृहस्पति ग्रह जन्म पत्रिका में पढ़ाई लिखाई नौकरी शादी विवाह आदि के लिए मुख्य माना जाता है बृहस्पति ग्रह को अपनी दो राशियॉ धनु तथा मीन का स्वामी कहा गया है अगर ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति की जन्म पत्रिका में गुरु ग्रह कमजोर है तो उसे अनेकप्रकार की कठिनाइयों से जूझना पड़ता है | पुखराज को संस्कृत में पुष्पराज हिंदी में पुखराज अंग्रेजी में येलो सफायर तथा फ़ारसी में दर्द याकुट कहते है |

पुखराज के अन्य नाम- पुखराज, पीलूराज, पीतरत्न, मणि भी है |

पुखराज रत्न मुख्यत : श्रीलंका, जापान, ईरान, भारत तथा बंगाल के अंचलो में ब्रह्मपुत्र के आस-पास हिमालय पर्वत के अंचल में पाया जाता है आजकल रंगहीन अथवा सफ़ेद पुखराज को पीले रंग में दाई करने की प्रक्रिया भी चल रही है खरीदते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए|

पुखराज से लाभ – पुखराज रत्न ज्योतिष शास्त्र में अन्य रत्नो से अधिक प्रभावशाली रत्न माना जाता है पुखराज रत्न गुरु ग्रह के लिए धारण किया जाता है जिन लड़कियों की शादी विवाह या नौकरी में अड़चने आती है उन्हें पुखराज सव छः रत्नी सोने में या पांच धातु में दाये हाथ की तर्जनी ऊँगली में वीरता के दिन अवश्य धारण करना चाहिए | यदि किसी व्यक्ति को नौकरी अथवा उच्च शिक्षा में अड़चने आ रही है उन्हें चाहिए की वे पुखराज अवश्य धारण करे पुखराज धारण करने से पाप विचारो एवं बुरे कार्यो में क्षीणता आती है और शुभ एव आध्यात्मिक विचार प्रबल होते है चित्त में शांति बढ़ती है यधपि जिनकी जन्म कुंडली में गुरुग्रह प्रधान हो उन्हें पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए |

पुखराज – मुख्यतः पुखराज रत्न धन धन्य प्रमोशन व्यापर वृद्धि पारिवारिक सुख संतान तथा हृदय रोग में लाभदायक होता है यहाँ बल वृद्धि संतान यज्ञ सपत्ति तथा आयु की वृद्धि करता है | अगर किसी भी लड़के या लड़की की शादी में रुकावट आ रही हो तो पुखराज रत्न धारण करना लाभदायक सिद्ध होता है पीला पुखराज अधिक श्रेष्ठ माना जाता है |

पुखराज से हानि – पुखराज रत्न जितना अधिक लाभदायक होता है उतना ही हानिकारक भी होता है अगर जन्म कुंडली में गुरु ग्रह नीच व अस्त हो तो व्यक्ति को पुखराज कदापि धारण नहीं करना चाहिए खंडित पुखराज धन नाश तथा आयु क्षय भी करता है अगर किसी भी पुखराज में लाल छींटे हो तो संपत्ति का नाश करने वाला होता है अगर पुखराज पर काले रंग के धब्बे हो तो यहाँ पुखराज व्यक्ति को दुर्घटना करवाता है अबतक जैसे रंग वाला पुखराज धीरे धीरे स्वास्थ्य ख़राब करके धारक को रोगी बना देता है गई वाला पुखराज व्यक्ति को मानसिक तनाव देता है |

जिस पुखराज में चमक नहीं होती उसे सुन्न पुखराज कहते है जो की स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है |
जिस पुखराज में खड़ी लकीर दिखाई दे पुखराज से बुध-बांधवो में विरोधभास पैदा होता है |
यदि पुखराज में अधिक जाल हो तो वह पुख– राज संतान पक्ष के लिए हानिकारक होता है |
सफ़ेद तथा छोटे-छोटे बिंदु वाला मृत्युकारक होता है |
यहाँ अन्य रत्नो से चिकना होता है |
ज्योतिष दीपमाला अपने पाठको को जागरूक करने के लिए यह बात स्पष्ट बताती है कि यदि आप पुखराज लेने के लिए कही भी दुकान दार के पास जाते है तो स्वयं पुखराज रत्न कि जानकारी कर ले क्योकि अधिकांश लोग इससे धोका खा चुके है या धोखे से गलत नग खरीद चुके है हमारे पास कई लोग इस प्रकार के आ गए है जो कि सही रत्न कि जगह गलत रत्न खरीद चुके है मैं ज्योतिष दीपमाला के पाठको को यह जानकारी देना चाहूंगा कि यदि आप पुखराज नीलम पन्ना आदि लेते है तो उसकी रसीद या बिल दुकानदार से अवश्य ले अगर आपको किसी भी प्रकार के संदेह अपने रत्न पर हो तो आप शीघ्र ही उत्तरांचल ज्योतिष व रत्न केंद्र के कार्यालय में जाकर रत्न विशेषज्ञों से अपना रत्न चेक करा ले उसमे कोई फ़ीस नहीं लगेगी अगर आप स्वे पुखराज को परखना चाहते है | तो विधियां है जिनके द्वारा आप भी सही गलत कि परीक्षा कर सकते है वे इस प्रकार है |

सफ़ेद कपडे पर पुखराज रख कर सूर्य की धुप में देखे, तो कपडे पर पिली झाई सी दिखाई देगी |
दूध में 24 घंटे असली पुखराज को रखने के बाद भी उसकी चमक कम न हो तो उसे असली पुखराज समझना चाहिए |
जहरीला जानवर जिस स्थान पर काटे वहा पर पुखराज घिसकर लगाने से तुरंत जहर ख़त्म हो जाए तो सच पुखराज समझना चाहिए
पुखराज अलग-अलग लग्नो में शुभ अशुभ – पुखराज रत्न सामान्यतः देव गुरु बृहस्पति का रत्न है आई.ए. एस, न्यायधीश, पुलिस अधिकारी, बैंक अधिकारी प्रोफ्रेसर आदि के लिए पुखराज सर्वश्रेष्ठ माना जाता है मूलतः पुखराज धनु तथा मीन राशियॉ का स्वामी बृहसपति विवेक, नौकरी, तर्क शक्ति आदि का कारक माना जाता है यदि जन्म कुंडली में ये शुभ हो तो व्यक्ति राजा बन जाता है यदि बृहस्पति नीच अथवा शत्रु भाव का हो तो पुखराज रत्न धारण न करे |

मेष लग्न में पुखराज – मेष लग्न में बृहस्पति की राशियाँ नवम तथा द्वादश स्थान में जाएगी द्वादश स्थान सम है परन्तु नवम त्रिकोण होने के कारण पुखराज रत्न इस लग्न के लिए बहुत लाभदायक है गुरु लग्नेश मंगल का मित्र भी है अतः मेष लग्न में पुखराज धारण करना बहुत ही लाभदायक रहेगा इससे विशेषकर व्यक्ति को यह मान सम्मान धन विद्या तथा भाग्योदय में वृद्धि होगी तथा समाज में पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी |

वृष लग्न में पुखराज – वृष लग्न में बृहस्पति की राशियाँ अष्टम तथा एकादश स्थान में जाएगी अष्टम स्थान विघ्न बढ़ाओ तथा रुकावटों का स्थान है जबकि एकादश स्थान में जाएगी अष्टम स्थान विघ्न बढ़ाओ तथा रुकावटों का स्थान है जबकि एकादश स्थान लाभ स्थान है फिर भी ऐसे शुभ नहीं मन गया है अतः वृष लग्न में पुखराज रत्न धारण नहीं किया जाना चाहिए केवल बृहस्पति को दशा में पुखराज धारण किया जा सकता है उससे भी अगर बृहस्पति जन्म कुंडली में स्वग्रही हो या लग्न आदि शुभ वालो में बैठा हो तो हो पुखराज धारण करे अन्यथा हानि होगी |

मिथुन लग्न में पुखराज – मिथुन लग्न में बृहस्पति की राशियाँ षष्ठ तथा नवम स्थान में जाएगी नवम स्थान त्रिकोण होने के कारण शुभ है इसलिए कारक लग्न वाले जातक को पुखराज धारण करना बहुत ही श्रेष्ठ है यहाँ धन धान्य ज्ञान सुख ईश्वर भक्ति तथा भाग्योन्नति में व्यक्ति को काफी सहायक सिद्ध बनता है इसी स्थिति में पुखराज धारण करना और भी समृद्धिदायक सिद्ध होगा |

सिंह लग्न में पुखराज – सिंह लग्न वाले जातक की बृहस्पति की राशियाँ पंचम और अष्टम स्थान में जाएगी यधपि अष्टम स्थान अशुभ मन गया परन्तु पंचम त्रिकोण होने के कारण बहुत ही शुभ है अतः सिंह लग्न में पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए इससे व्यक्ति को दिशा धन पुण्य कर्म यश मान सम्मान आदि में वृद्धि होगी |

कन्या लग्न में पुखराज – कन्या लग्न में बृहस्पति की राशियाँ चतुर्थ और सप्तम स्थान में पड़ती है इसलिए कन्या लग्न में बृहस्पति केन्द्राधिपति दोष होता है जिस कारण यह प्रबल मारकेश बन जाता है परन्तु अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में बृहस्पति स्वग्रही हो अथवा लग्न आदि शुभ भावो में हो तो बृहस्पति की दशा में आर्थिक लाभ के लिए पुखराज धारण किया जा सकता है |

तुला लग्न में पुखराज – तुला लग्न में बृहस्पति की राशियाँ तुत्य और षष्ठ स्थान में जाएगी जो की तुला लग्न में दोनों स्थान अशुभ माने जाते है अतः इस लग्न में पुखराज रत्न धारण करना हर तरह से अनिष्ट करी ही सिद्ध होगा लाभ की जगह हानि देगा |

वृश्चिक लग्न में पुखराज – वृश्चिक लग्न वाले जातक की बृहस्पति की राशियाँ द्वितीय और पंचम स्थान में जाएगी जो की शुभ मानी जाती है अतः वृश्चिक लग्न में पुखराज धारण करने से जातक को धन, विद्या, बुद्धि, कार्यकुशलता, मान-प्रतिष्ठा व पारिवारिक सुख-शांति आदि की प्राप्ति होगी |

धनु लग्न में पुखराज – धनु लग्न में बृहस्पति की राशियाँ लग्न तथा चतुर्थ स्थान में जाएगी लग्नेश होने के कारण यह बहुत ही शुभ ग्रह बन जाता है धनु लग्न में पुखराज धारण करने से शारीरिक बल, स्वास्थ्य, मान सम्मान, धन व जायदाद आदि में वृद्धि होगी अतः इससे जातक को अवश्य लाभ होगा जातक को पीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए |

मकर लग्न में पुखराज- मकर लग्न में बृहस्पति की राशियाँ त्रित्य और द्वादश स्थान में जाएगी द्वादश सम स्थान है परन्तु त्रित्य स्थान अनिष्टकारी है अतः द्वादश स्थान भी त्रित्य के गन ही प्रदान करेगा इसलिए मकर लग्न में पुखराज धारण करने से हर तरह से अनिष्ट की संभावना ही रहेगी |

कुम्भ लग्न में- कुम्भ लग्न वाले जातको की बृहस्पति की राशियाँ द्वित्य और एकादश स्थान में जाएगी ये दोनों स्थान कुछ अशुभ मने जाते है किन्तु जन्म कुंडली में ये दोनों स्थान धन स्थान भी है अतः बृहस्पति किसी भी जातक का स्वग्रही हो तो बृहस्पति की दशा में पुखराज धारण करने से जातक के धन में आशातीत वृद्धि होगी |

मीन लग्न में पुखराज – मीन लग्न में बृहस्पति की दूसरी राशि दशम स्थान में रहेगी अतः बृहस्पति बहुत ही शुभकारक ग्रह है इसलिए मीन लग्न में पुखराज हमेशा धारण करना चाहिए इससे जातक को दशम स्थान तथा लग्न के सभी सद्गुण प्राप्त होंगे जातक हर तरह से उत्तम स्वस्थ का स्वामी धन-धान्य से भरपूर, कारोबार, नौकरी में उन्नति करने वाला तथा हर तरह से कबतक सिद्ध होगा |

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