हाथ की रेखा

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हथेली की रेखाओं को पढ़ कर भूत और भविष्य बताने वाले शास्त्र को हस्तरेखा शास्त्र कहते हैं। यह कला भारत में बहुत प्रचलित है। हाथ की रेखाओं को पढ़ने वाले को हथेली पढ़ने वाला, हाथ पढ़ने वाला, हस्तरेखाविद या हस्त रेखा शास्त्री भी कहते हैं। हमारे देश में यह काम पंडित करते हैं। यह कला चीन, मिस्र, तिब्बत, भारत और यूरोप में प्रचलित है। महर्षि वाल्मीकि (जिन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना की थी) ने हस्त रेखा पर कुछ लेख लिखे थे। उन लेखों को “टीचिंग ऑफ वाल्मीकि महर्षी ऑन मेल पामिस्ट्री” के नाम से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है जिसमें 576 श्लोक हैं। हाथ की रेखाएं चार प्रकार की होती हैं। सबसे ऊपर स्थित रेखा को ह्रदय रेखा कहते हैं, उसके नीचे वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा रहते हैं। सबसे नीचे वाली रेखा को जीवन रेखा कहते हैं और तीनों रेखाओं को जोड़ने वाली रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं। इसे देखकर ही व्यक्ति के भविष्य और भूतकाल के बारे में पता किया जाता है।

  • महिलाओं के लिए दायाँ हाथ जन्म के फल के बारे में बताता है और बाया हाथ कर्म के फल के बारे में बताता है, जबकि पुरुषों में यह उल्टा होता है। पुरुषों में बाया हाथ जन्म के फल के बारे में बताता है और दाया हाथ कर्म के फल के बारे में बताता है।
  • सबसे पहले व्यक्ति को अपने हाथ की चार प्रमुख रेखाओं को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा हो सकता है कि चौथी रेखा ना हो पर 3 दिखाएं अवश्य होती हैं-

हृदय रेखा
मस्तिष्क रेखा
जीवन रेखा
भाग्य रेखा (केवल कुछ ही लोगों के होती है)

  1. ह्रदय रेखा की विवेचना – हथेली की सबसे ऊपर वाली रेखा को ह्रदय रेखा कहते हैं। यह व्यक्ति की भावात्मक स्थिति, मानसिक स्थिरता, प्रेम दृष्टिकोण, सुख, दुख एवं ह्रदय के स्वास्थ्य के बारे में बताती है। हृदय रेखा की बनावट से हमें बहुत सी बातें पता चलती हैं। जब ह्रदय रेखा तर्जनी के ठीक नीचे से शुरू होती है और सबसे लंबी होती है तो जीवन में प्रेम भरपूर मात्रा में मिलता है।

यदि हृदय रेखा मध्यमा उंगली के नीचे से शुरू होती है तो व्यक्ति प्रेम के मामले में स्वार्थी होता है। यदि यह रेखा बीच में से शुरू होती है तो इसका अर्थ है कि ऐसे व्यक्ति आसानी से प्रेम में पड़ जाते हैं। यदि यह रेखा बहुत छोटी है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति को प्रेम में कम रुचि है।

  1. मस्तिष्क रेखा की विवेचना – ऊपर से नीचे की तरफ दूसरे नंबर वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा छोटी है तो व्यक्ति सिर्फ दैहिक उपलब्धियों के बारे में सोचता है। वह लंबी योजनाएं नहीं बनाता है। यदि मस्तिष्क रेखा लंबी है तो व्यक्ति के अंदर सृजनात्मकता भरी हुई है।

यदि मस्तिष्क रेखा बहुत लंबी है तो व्यक्ति साहसी है और जीवन उत्साह से भरपूर है। यदि मस्तिष्क रेखा लहराती हुई और टेढ़ी-मेढ़ी है तो व्यक्ति की याददाश्त छोटी है। यदि मस्तिष्क रेखा मोटी और गहरी है तो व्यक्ति स्पष्ट विचारों वाला दृढ़ स्वाभाव वाला व्यक्ति है।

  1. जीवन रेखा की विवेचना – बाएं हाथ के सबसे नीचे की ओर स्थित रेखा को जीवन रेखा कहते हैं। यह अंगूठी के निकट से शुरू होती है और धनुष के आकार में होती है जो कलाई तक जाती है। यह रेखा व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में बताती है। यदि रेखा अंगूठे के निकट से शुरू होती है तो व्यक्ति अक्सर थका हुआ महसूस करता है। यदि यह रेखा वक्राकार होती है तो व्यक्ति सदैव ऊर्जावान महसूस करता है। यदि यह रेखा लंबी गहरी होती है तो व्यक्ति के जीवन में उत्साह का दृष्टिकोण का होता है।

यदि यह रेखा छोटी और हल्की सी होती है तो व्यक्ति बार-बार दूसरे के बहकावे में आ जाता है। यदि यह रेखा सीधी होती है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति संबंध बनाने में बहुत सतर्क रहता है। यदि जीवन रेखा के साथ में दो तीन और रेखाएं होती हैं तो उस व्यक्ति के अंदर अतिरिक्त जीवन शक्ति का भाव है।

  1. भाग्य रेखा की विवेचना- भाग्य रेखा को नियति की रेखा भी कहते हैं। व्यक्ति अपने जीवन में कितनी सफलता और असफलता प्राप्त करेगा यह रेखा बताती है। यह रेखा केवल कुछ लोगों के हाथों में पाई जाती है। यदि भाग्य रेखा सीधी और गहरी है तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है। यदि यह रेखा दो बार में बनी हुई है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने भाग्य और करियर में बहुत से परिवर्तन देखेगा।

यदि यह रेखा जीवन रेखा से जुड़ी हुई है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति सेल्फ मेड मैन है। उसने जो भी सफलता पाई है वह अपने दम पर पाई है। किसी से सहयोग नहीं लिया है। इसके साथ ही व्यक्ति महत्वाकांक्षी है। यदि भाग्य रेखा जीवन रेखा के मध्य भाग से जुड़ी है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति दूसरों के हितों के लिए अपने फायदे का बलिदान कर देता है।

यह सब जानकारी इन्टरनेट से कई वेबसाइट और एजुकेशनल सोर्स से लिया गया है। इस आर्टिकल में सभी जानकारियां मात्र ज्ञान के लिए हैं। इनका उपयोग अपने जीवन में स्वयं ना करें किसी प्रशिक्षित हस्तरेखा शास्त्री से सलाह और परामर्श लें।

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