माणिक

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माणिक या माणिक्य को संस्कृत में पदमराग कहते है अंग्रेजी में इसे स्त्री कहते है | माणिक्य, रवि लोहित लक्ष्मी पुष्प पदमनाग याकुट गुलाब जैसा लाल होता है श्री लंका थाईलैंड बैंकाक वर्मा भारत में पाया जाता है वर्मा का माणिक उत्तम श्रेणी का होता है |

माणिक के गुण :- आज प्रातः, लोग रत्न खरीदने जाते है तो मन में प्रायः नकली या असली का भय बना रहता है मुख्यतः माणिक के पांच गुण पाए जाते है यह स्निग्ध क्रान्तियुक्त अच्छे पानी का धारदार और चमकीला होता है हाथ में लेने पर कुछ भारी सा प्रतीत होता है तब हलकी गर्मी महसूस होती है –

माणिक को गाय के दूध में डालने पर दूध गुलाबी सा दिखाई देने लगता है |
सफ़ेद चाँदी के थाल में इसे रखकर सूर्य के सम्मुख करे तो यह रजत को भी लाल सा बना देता है |
कांच के पात्र में रखकर देखे तो कांच में हलकी हलकी रक्तित किरणों सी निकलती दिखाई देती है |
कमल की काली पर इसे रखे तो कमल तुरंत खिल जाता है |
दोष – दोषयुक्त माणिक प्रभावशाली नहीं होता अपितु वह धारण करने वाले के लिए विपरीत फल डेटा भी बन जाता है | माणिक के दोष इस प्रकार है –

माणिक्य रत्न :- माणिक्य मुख्यत : सूर्य का रत्न है ज्योतिष शास्त्र में सूर्य काल पुरुष की आत्मा कहा जाता है सूर्य पूर्व दिशा का स्वामी है और पाप गृह है यदि जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं होती तो माणिक्य धारण करे यदि कोई व्यक्ति बीमारी से परेशान है तो माणिक्य सवा आठ रत्ती पंचधातु में लाकेट बनाकर पद-प्रतिष्ठा करवा के गले में डाले नौकरी या प्रमोशन में अड़चन आने पर माणिक्य डाल सकते है राजनेता को माणिक्य बहुत लाभदायक होता है वर्मा का माणिक्य उत्तम होता है |

सुन्न – जो माणिक बीबा चमक का होता है वह सुन्न माणिक कहलाता है ऐसे माणिक को धारण करने वाला व्यक्ति भाइयो से पीड़ित रहता है |
जिस माणिक में जाल हो :- अडी तिरछी कई रेखाओ से युक्त हो वह जलयुक्त माणिक कहलाता है ऐसा माणिक पर मैं कलहपूर्ण वातावरण बनाए रखने में समर्थ होता है |
दुरंगा – जिस माणिक में दो प्रकार के रंग दिखाई दे वह दुरंगा माणिक पिता के लिए कष्टदायक होता है |
मटमैला – मटमैला माणिक अशुभ होता है व्यक्ति को पेट संबंधी विकार करता है |
माणिक से लाभ :- माणिक्य रत्न नवग्रहों में सूर्य का रत्न है जिस व्यक्ति का सूर्य सम राशि का हो या रात्रि का जन्म हो अथवा कमजोर हो उसे माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए माणिक्य रत्न व्यक्ति को सूर्य के सामान प्रतिष्ठा दिलाता है माणिक्य को धारण करने से व्यक्ति को सुख संपत्ति की प्राप्ति धन और स्वास्थ्य लाभ, व्यापार, वृद्धि, नौकरी, सरकारी कामो में लाभ होता है माणिक्य रत्न व्यक्ति को भय रोग दुःख तथा दरिद्रता का नाश करता है सूर्य का रत्न है इसलिए इसके धारण करने से व्यक्ति में सूर्य के सामान तेजस्विता आती है और उसमे हर तरह के आत्म बल प्रतिष्ठा और धैर्य की वृद्धि होती है यदि किसी भी व्यक्ति का सूर्य कमजोर हो या उसे डर लगता हो तो उस व्यक्ति को माणिक्य अवश्य धारण करना चाहिए |

बीमारी में माणिक्य के प्रभाव :- यदि व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ता है और शरीर में खून संबंधी विकार होने पर माणिक्य की भस्मी का सेवन करे तो आश्चर्यजनक लाभ होता है –

यदि खून के दस्त लग रहे हो और उसे माणिक्य का धोया हुआ जल पिलाया जाए तो व्यक्ति को तुरंत लाभ होता होगा |
नामर्दी और खुनी बवासीर में माणिक्य भस्म रामबाण औषधि है |
घर में यदि माणिक्य पड़ा हो तो उसकी किरणों के प्रभाव से कीटाणु नाश होते है तथा वातावरण निर्मल रहता है किस लग्न वाले को धारण करना चाहिए माणिक्य आज हर व्यक्ति के हाथ में कोई न कोई रत्न अवश्य रहता है पहले ज़माने में केवल राजा महाराजाओ तक ही रत्नो का सम्बन्ध था आज प्रायः हरेक व्यक्ति रत्न धारण करता है | बहुत से लोगो के मन में रत्न खरीदते वक्त प्रश्न उठता है कि कौन सा रत्न धारण करे | इसलिए मैं अपने पाठको को ज्योतिष दीप माला के माध्यम से रत्नो कि जानकारी दे रहा हूँ | यदि आपका लग्न मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन हो तो आपको माणिक्य रत्न धारण करना श्रेष्ठ रहेगा क्योकि ये सभी सूर्य के मित्र है |
मेष लग्न :- यदि व्यक्ति का मेष लग्न हो तो सिंह राशि पंचम स्थान में जाएगी जो की त्रिकोण स्थान है अतः मेष लग्न वाले व्यक्ति को माणिक धारण करना श्रेष्ठ है क्योकि सूर्य मेष के स्वामी मंगल का मित्र है इसलिए माणिक पहनने से व्यक्ति को हर तरफ से सुख तथा समृद्धि रहेगी स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारी दूर होगी |

वृष लग्न :- वृष लग्न में सूर्य की राशि चौथे स्थान पर जाएगी इसलिए सूर्य का रत्न माणिक्य पहनने से सुख समृद्धि वाहन भूमि विधा अडी में वृद्धि होगी परन्तु सूर्य लग्नेश शुक्र का शत्रु है इसलिए अगर आवश्यक हो तो माणिक्य केवल सूर्य की दशा में धारण कर सकते है अन्यथा वृष लग्न में माणिक्य न पहने |

मिथुन लग्न :- मिथुन लग्न में सिंह राशि त्रित्य स्थान से पड़ेगी जो की अनिष्टकारक है तृत्य भाव में सूर्य होने से छोटे भाई को नुकसान देगा

इसलिए माणिक्य धारण करने से हानि होगी |

कर्क लग्न :- कर्क लग्न में सिंह राशि द्वितीय स्थान में आएगी जो की व्यक्ति का धन स्थान है वैसे सूर्य लग्नेश चन्द्रमा का मित्र है कर्क लग्न मैं माणिक्य धारण करने से लाभ होगा परन्तु द्वितीय स्थान मारक भी होता है इसलिए लग्नेश के रत्न को भी धारण कर सकते है |

सिंह लग्न :- सिंह लग्न में सूर्य लग्नेश होगा इसलिए सिंह लग्न के व्यक्तियों को माणिक रत्न पहनना श्रेष्ठतम रहेगा यह रत्न जातको को शारीरिक मानसिक राजनितिक तथा स्वास्थ्य के लिए हितकारी आत्मबल तथा आयु में वृद्धि के लिए बहुत फलप्रद होगा ऐसे हमेशा धारण किया जा सकता है |

कन्या लग्न :- इस लग्न में सूर्य द्वादश स्थान का स्वामी है यहाँ स्थान सम है इस लग्न में माणिक अधिक उपयुक्त प्रतीत नहीं होता है यदि अन्य किसी दृष्टि से आवश्यक हो तो सूर्य की महादशा में माणिक धारण कर सकते है |

तुला लग्न :- तुला लग्न के व्यक्तियों का सूर्य, शनि एकदश स्थान में आएगा जो कि जन्म पत्री में लाभ स्थान होता है किन्तु सूर्य लग्नेश शुक्र का शत्रु है अतः माणिक्य को धारण करना ठीक नहीं है अगर आवश्यकता पड़े तो केवल सूर्य की महादशा में माणिक अनामिका अंगुली में धारण करे |

वृश्चिक लग्न – वृश्चिक लग्न में सिंह राशि दशम स्थान पर पड़ेगा जो कि क्रम स्थान है यह व्यवसाय, नौकरी, प्रतिष्ठा, मन-सम्मान ताहा उन्नति का स्थान है दूसरा सूर्य लग्नेश मंगल ग्रह का मित्र है इसलिए इस लग्न वाले व्यक्ति माणिक्य सोना या पंचधातु कि अंगूठी में धारण करे |

धनु लग्न – धनु लग्न में सिंह राशि नवम स्थान में जाएगी जो कि जतक का भाग्य स्थान है ऐसे बलवान करने से हर प्रकार से सुख-समिधि भाग्य द्वारा उन्नति पिता का सुख,विदेश यात्रा आदि का योग रहेगा सूर्य लग्नेश बृहस्पति का मित्र है वैसे भी धनु लग्न में माणिक्य धारण करना बहुत ही लाभदायक होगा |

मकर लग्न – मकर लग्न में सिंह राशि अष्टम स्थान में जाएगी जो कि हर तरह से रुकावट और मारकेश मित्र आदि का स्थान है अगर मकर लग्न वाला व्यक्ति माणिक्य पहनता है तो उसके हर काम में विघ्न बाधाए आने की संभावनाए बढ़ेगी लग्नेश शनि और सूर्य में शत्रुता है अगर व्यक्ति माणिक्य धारण करता है तो उसे मृत्युतुल्य कष्ट उठाना पद सकता है अतः व्यक्ति माणिक्य रत्न कदापि धारण न करे |

कुम्भ लग्न – कुम्भ लग्न में सूर्य की राशि का स्थान समाप्त होता है जो कि केंद्र स्थान तो है परन्तु मकर स्थान भी है कुम्भ लग्न का स्वामी शनि सूर्य का पुत्र होता है अतः इस लग्न के व्यक्तियों को माणिक्य नहीं पहनना चाहिए सूर्य की दशा के समय आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए माणिक्य पहना जा सकता है, परन्तु सोने की अंगूठी में ना डाले |

मीन राशि – आज प्रायः हर एक व्यक्ति अंगूठी धारण करना चाहता है किन्तु जहा रत्न लाभदायक है वही हानि भी देता है मीन लग्न वाले जातक की जन्म पत्रिका में सूर्य की राशि का स्थान षष्ट होता है वह स्थान कर्ज रोग शत्रु तथा दुष्ट स्थान का स्वामी होता है ऐसे में आगे माणिक्य न पहना जाए तो अच्छा होगा तथापि इस लग्न में सूर्य लग्नेश गुरु का मित्र है अगर सूर्य अच्छे भाव में बैठा हो तो उसकी महादशा में माणिक्य धारण किया जा सकता है |

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