वास्तु दोष निवारक

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समाज में एक ऐसा वर्ग है जो वास्तु शास्त्र के उपक्रमों को अमीरों के चोचले मानता है | यदि बौद्धिकता से मनन करें, तो आप पाएंगे कि जहा उत्तर और पूरब मुखी घर है, वहां दक्षिण और पश्चिम मुखी घर भी है | जहा भवन में उत्तरी पूर्वी भाग में शौचालय बने है, वहां वैसे ही भवन के अन्यत्र कोणों में भी है | शुभत्व के जहा समस्त संसाधन गृह निर्माण आदि लगाएं गए है, वहां अनेक में इन सबसे कोई भी शुभत्व का प्रयास नहीं किया गया है |

यदि आप आंकड़ें जमा करें, तो पाएंगे कि कही दक्षिण अथवा पश्चिम मुखी भवनों में निवास करने वाले तुलनात्मक रूप से अधिक फल–फूल रहे है | जिन भवनों में ईशान कोण में शौचालय बने है वहां के लोग अन्यत्र कोणों में बने शौचालयों की तुलना में अधिक स्वस्थ है अथवा अधिक संपन्न है यो क्या हम उस वर्ग विशेष की बात मानकर स्वीकार कर लें कि वास्तु शास्त्र के अनुसार किए गए निर्माण आदि से सामान्यतः कोई अंतर नहीं पड़ता ? आपके अपने व्यक्तिगत अनुभव में भी ऐसे प्रकरण शास्त्रोक्त उपायों से किया गया है फिर भी उसके स्वामी अथवा उसके परिजन कष्ट भरा जीवन जी रहे है | जब आप वास्तु पंडित, ज्योतिष मनीषि, तांत्रिक, मांत्रिक आदि के पास गए होंगे, तो उसने तत्काल गणना कर दी होगी और कह दिया होगा कि भवन का वास्तु तो बिलकुल ठीक है परन्तु जन्मपत्री में ग्रह–नक्षत्रों का योग विपरीत बनकर कष्टकारी सिद्ध हो रहा है अथवा किसी ने कुछ कर दिया है अथवा देखने में तो सब ठीक है परन्तु आपके पितर रुष्ट है आदि..आदि|

कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति का जीवन किसी एक घटक विशेष से प्रभावित नहीं हो रहा | अध्यात्म के मार्ग में जाकर, अण्ड–पिण्ड सिद्धांत को समझकर, प्रारब्ध– पुरुषार्थ आदि की गूढ़ता को मनन कर ही इस गूढ़ रहस्य को समझा जा सकता है | प्रारब्ध के कर्मानुसार हम कष्ट भोग रहे है | लाख प्रयास, क्रम–उपक्रम करने पर भी हमें आशातीत फल नहीं मिल पा रहे | किसी प्रयास आदि से हमें लाभ मिल जाए यह दृष्ट नहीं है | इसलिए एक को गले न लगाकर मानव कल्याण के लिए किए जा रहे प्रयासों को नियमित करते रहे, पता नहीं कौन सा उपक्रम आपको रास आ जाए |

यदि आपको कही आभास हो कि सब कुछ होते हुए भी वास्तु अथवा अन्य किन्ही दोषो के कारण आप कष्ट भोग रहे है, तो निम्न सरलतम प्रयोग भी करके देख लें | पता नहीं कौन सा प्रयोग आपके लिए फिट बैठ जाए |

प्रयोग – 1

मकान, दुकान अथवा अन्य कोई भवन निर्माण के समय अलग–अलग पूजा– अर्चना करना प्रचलित है | पूजा–पाठ का आप जो भी विधान अपना लें, थोड़ा है | आस्था हो, तो यह प्रयोग कर देखें, घर में कोई दोष नहीं आ पाएगा |

एक छोटा सा तांबे का ढक्कन वाला लोटा लें | उसे धोकर चमका लें | लोटे में पांच तांबे के छेद वाले सिक्के, छोटा सा चांदी का बना नाग और नागिन का जोड़ा, हनुमान जी के चरणों का थोड़ा सा सिंदूर, लोहे का छोटा सा एक त्रिशूल तथा चांदी की एक जोड़ा पादुकाएँ रखकर उसमें गंगाजल भर दें| लोटे का मुहं ढक्कन से अच्छी तरह बंद कर दे, जिससे कि जल छलक कर बाहर न गिरे | अब इसको घर, दुकान आदि नीवं में मुख्य द्धार के दाएं भाग में दबा दे | यदि घर तैयार हो चूका हो और कोई सज्जन यह प्रयोग करना चाहे तो वह यह सामग्री मुख्य द्धार के दायीं और कही ऐसे पवित्र स्थान में दबा दे जहा से इसके दुबारा निकलने कि संभावना न हो |

यदि भवन के आस–पास उपयुक्त स्थान उपलब्ध हो तो वहां अशोक, सिरस, केले, श्वेतार्क आदि के पेड़ लगा लें | पाठकों का भ्रम दूर कर दूँ | जब तक वृक्ष कि परछाई भवन पर नहीं पड़ती, वास्तु दोष नहीं लगता | घर के सामने घनी सी तुलसी की छाड़ लगा लें | यह सब उपक्रम घर में सकारात्मक ऊर्जा का समावेश करते है |

प्रयोग – 2

घर में सदैव श्री का वास् रहे तथा वास्तु जनित किसी भी प्रकार के दोष के निदान के लिए घर की किसी लड़की, बहु, बेटी आदि से यह प्रयोग करवाएं |

गुरुवार के दिन मुख्य द्धार के दाएं अथवा बाएं और गंगा जल से पवित्र करे | यहाँ दाएं हाथ की अनामिका तथा हल्दी दही के घोल से एक स्वास्तिक बनाएं | इस पर थोड़ा सा गुड रखकर एक बूंद शहद टपका दे | प्रत्येक गुरुवार को यह क्रम दोहरा दिया करे | कुछ समय बाद आपको अपने घर का वातावरण सुखद लगने लगेगा |

प्रयोग – 3

किसी भी धातु का एक कटोरा लें | उसमें चावल नागकेसर भर लें | यदि इनको किसी शुभ मुहूर्त में अभिमंत्रित करके भरा जाता है, तो अधिक प्रभावशाली सिद्ध होगा | इस कटोरे में रखे चावलों में एक सिक्का, पिली बड़ी कौड़ी, पिली बड़ी हरड़ तथा छोटे से नृत्य हुए एक गणपति स्थापित कर दें | गणपति किसी भी धातु, कांच, काष्ठ आदि के आप लें सकते है | सामग्री भरे हुए इस कटोरे को घर के किसी ईशान कोण में धरती से कुछ ऊचाई पर रख दें | भवन के वास्तु दोष निवारण में यह एक अचूक प्रयोग सिद्ध होगा | बहु– मंजिला भवन है अथवा भवन में अनेक कमरे है, तो आप प्रत्येक तक तथा प्रत्येक कमरे के उत्तर–पूर्वी कोण में भी यह सामग्री रख सकते है | इसके लिए आपको उतनी ही संख्या में सामग्री भरे कटोरे तैयार करने होंगे जितने आप प्रयोग करने जा रहे है |

प्रयोग – 4

घर में सौभाग्य जगाने, प्रसन्नचित वातावरण बनाने अथवा भांति–भांति की सुंगन्ध कर देवी–देवताओ को रिझाने के उपक्रम किए जाते है | अपनी –अपनी सामर्थ्य, श्रद्धानुसार लोग धुप, अगरबत्ती आदि का प्रयोग करते है | एक सलाह आपको अवश्य दूंगा कि घटिया धुप, अगरबत्ती आदि का प्रयोग अपने बुद्धि–विवेक से ही करे | यह सड़े हुए मोबिल ऑयल से तैयार की जाती है | इससे वास्तु दोष दूर हो या न हो, देवी–देवता प्रसन्न हो अपनी कृपा दृष्टि आप पर तथा आपके भवन पर डाले या न डाले परन्तु यह निश्चित है कि आपके फेफड़े अवश्य ख़राब हो जायेंगे |

गाय के गोबर के दहकते हुए कण्डे पर शुद्ध घी में डुबोई लौंग, कपूर, गोला गिरि तथा बताशा अथवा चीनी डालकर धूनी करे | इस भीनी–भीनी मदमस्त महक से आपका चिंत प्रसन्न हो उठेगा | भवन के वातावरण में धीरे– धीरे सकारात्मक ऊर्जा भरने लगेगी |

प्रयोग – 5

किसी शुभ मुहूर्त में हल्दी से रंगे एक पीले कपड़ें में थोड़ी सी नागकेसर, एक तांबे का सिक्का, हल्दी की एक अखंडित गांठ, एक मुटठी नमक, एक पीली बड़ी हरड़, एक मुटठी गेहू और चांदी अथवा तांबे की एक जोड़ा पादुकाएं बांधकर पोटली बना लें | इस पोटली को घर की रसोई में कही ऐसे स्थान पर लटका दें जहा आते–जाते किसी दृष्टि उस पर न पड़े | जब लगे की पोटली गन्दी होने लगी है, तो किसी शुभ मुहूर्त में उपरोक्त सामग्री पीले कपडे में बांधकर पुनः लटका दिया करे तथा पुरानी पोटली को जल में कहीं विसर्जित कर दिया करे | आपके घर में सौभाग्य का आगमन होने लगेगा |

प्रयोग – 6

अपने दाये हाथ की आठ अंगुल प्रमाण में चार लोहे की कील लें लें | इतने ही बड़े चार टुकड़े बढ़ अथवा पीपल की जड़ के काट लें | इन्हे चारों के साथ अलग–अलग बांध लें | अपने भूखंड के चार कोनो में इन्हे बड़ा दें | घर को चारों तरफ से लोहे, तांबे तथा सामर्थ्य हो, तो चांदी के तारों से इस प्रकार दबा दें कि तार चारो ओर दबी हुई कीलों से स्पर्श करते हुए रहे | भूखंड के जिस क्षेत्र में ईशान कोण आ रहा हो वहां तारों को अलग रखे | यहाँ पीपल अथवा बढ़ के नो पत्तो से, एक पत्ता बीच में रखकर अष्टदल कमल की अपनी श्रद्धानुसार पूजा–अर्चना करें, इस पर कोई विग्रह, यंत्र अथवा अन्य कोई प्रतिष्ठित मूर्ति, चित्रादि रखकर चारों तरफ से ढक दें | जैसा भी निर्माण कार्य हो रहा हो, वह इसके बाद प्रारम्भ करवाएं | वातु दोष निवारण का यह एक अचूक प्रयोग सिद्ध होगा |

प्रयोग – 7

पुष्य नक्षत्र में जड़ सहित चिरचिटे का एक पौधा उखाड़ लाएं | भवन में कही भी गड्डा खोदकर इस पौधे को इस प्रकार से दबा दें कि पत्तिया नीचे रहें और जड़ वाला भाग ऊपर | बद्नजर, किसी के कुछ करे–धरे का दुष्प्रभाव आदि में यह प्रयोग रामबाण सा सिद्ध होगा |

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